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कामिनी भाग 24

क्रोधित कामिनी,,,भेड़िए से उतरकर,,चेतन और पारुल की और बड़ी,,,उसके नुकीले दांत और नाखून किसी को भी भयभीत कर असहाय कर सकते हैं,,,चेतन समझ चुका है,,,कामीनी के क्रोध को शांत कर,,,उसे समझाना बहुत मुश्किल है पर उसे अपनी और पारुल की जान बचाने के लिए,,,कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा,,,तभी चेतन ने खड़े होकर कहा

"यह असंभव है,,,मैं जानता हूं,,,तुम कभी नदी को पार नहीं कर सकती हो,,,तुम्हें सामन मुनि ने अपनी तंत्र क्रिया से कामपुर नगर में बांध रखा है"!

तभी कामिनी रुकी और उसने हंसते हुए कहा

"जब सामन मुनि,,मुझसे अपने 1000 शिष्यों के प्राणों की रक्षा नहीं कर पाए तो वह क्या मुझे,,,,किसी बंधन में बांध सकते हैं,,,कामिनी,,,सदा से स्वतंत्र है,,,वह कभी भी,,,कहीं भी जा सकती है और कुछ भी कर सकती है,,,इसीलिए तुम दोनों,,,मृत्यु के लिए तैयार हो जाओ"! कामीनी ने दहाड़ते हुए कहा

"इसमें पारुल का कोई दोष नहीं है,,,इसीलिए जो भी सजा देना है, मुझे दो,,,मेरी वासना ने मुझे,,,प्रेम की नैतिकता के सारे सूत्र भुला दिए,,,पारुल तो अभी नादान है,,,,मैं ही इसे बहका कर,,,इसके कुंवारे योवन से अपनी वासना, मिटाना चाहता था, इसीलिए जो भी करना है, मेरे साथ करो, जो भी सजा देनी है मुझे दो"! चेतन ने कामिनी को समझाते हुए कहा

"इसे कहते हैं,,,असली प्रेम,,,,असली प्रेम में ही असली दर्द होता है,,,,जो दर्द तुमने,,मुझे दिया है,,,वही दर्द आज मैं,,,तुम्हें भी दूंगी,,,तुमने कभी मुझसे प्रेम नहीं किया,,,तुमने,,,मेरे सुंदर योवन को एक वस्तु समझकर, ,उसका उपभोग किया है,,,अगर तुम,,,मेरे प्रेम को समझ लेते तो मैं,,,तुम्हें वह सब कुछ देती,,,जो एक सांसारिक लड़की, कभी नहीं दे सकती है और अब मैं,,तुम्हें नहीं मारूंगी,,,सिर्फ तुम्हारी प्रेमिका को मारूंगी,,,ताकि जिस बेवफाई की अग्नि में,,,,में जल रही हूं,,,उस अग्नि में तुम भी जीवन भर जलोगे और कभी किसी से बेवफाई नहीं करोगे"!

ऐसा कह कर कामीनी आगे बड़ी,,,चेतन पारुल के सामने खड़ा हो गया और उसने कहा

"तुम,,,मेरे बिना नहीं जी सकती और मैं पारुल के बिना नहीं जी सकता हूं,,,इसे छूने से पहले तुम्हें,,,मुझे मिटाना होगा"! चेतन ने कहा

"मेरे रास्ते से हट जाओ,,,,आज इस लड़की को कोई नहीं बचा सकता है"!

यह कह कर कामीनी ने अपनी चोटी का एक बाल तोड़कर, जमीन पर फेंका,वह बाल जमीन पर पढ़ते ही एक विशाल नाग बन गया और वह नाग चेतन पर आक्रमण करने लगा, चेतन उस नाग से लड़ता रहा पर वह बहुत शक्तिशाली था,,,इसीलिए वह चेतन के पांव से उसे जकड़ता हुआ,,छाती तक चेतन को पूरी तरह,,जकड़ कर बांध देता है,,,जैसे किसी मोटी रस्सी ने से बांधा जाता है,,,चेतन को बेबस,,,लाचार देखकर,,कामीनी ने अंहकार से कहा

"मैंने कहा था ना,,,आज इस लड़की को कोई भी नहीं बचा पाएगा"! यह कहकर कामिनी पारुल की और बड़ी

पारुल जरा भी भयभीत नहीं है,,,उसकी आंखों में कोई डर नहीं है और वह हंस रही है,,,पारुल का साहस देखकर, कामीनी ने पूछा

"मृत्यु के भय से कहीं तुम,,,पागल तो नहीं हो गई हो,,,जो हंस रही हो,,,उत्तर दो मुझे"?कामीनी ने चिल्ला कर पूछा

"जिस प्रेम को पाने के लिए, तुम 5000 सालों से भटक रही हो, पता है वह प्रेम तुम्हें, आज तक क्यों नहीं मिला है ,,, क्योंकि प्रेम में भावों को अर्पण किया जाता है, भावों पर अतिक्रमण नहीं किया जाता है,,,. मैंने आज अपना वह प्रेम,,,पा लिया है इसीलिए,,,मैं तुम्हारी तरह,,सदियों तक भटकूंगी नहीं,,,तुम्हारी यही पराजय देखकर मुझे,, तुम पर दया ओर हंसी आ रही है"! पारुल ने हंसते हुए कहा

"मृत्यु के सामने, स्वयं खड़ी हो और मेरी पराजय की बात करती हो,, यह तुम्हारी मूर्खता है कि तुम मुझे दया के योग्य समझती हो,,,तुमने,,,अब मेरे क्रोध को और भड़का दिया है,,,अपनी कोई अंतिम इच्छा हो तो बता दो, क्योंकि मुझे भी तुम पर बहुत दया रही है"! कामीनी ने हंस कर पूछा

"खुद,, तो अपनी ख्वाहिश तो पूरी नहीं कर पा रही हो और मुझसे,,,,मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछ रही हो,,, मैं प्रेम में अपनी मृत्यु से भी संतुष्ट हूं और तुम, जीवित होकर भी बेचैन हो"! पारुल ने ताना मारते हुए कहा

पारुल के यह शब्द सुनकर, कामिनी बौखला उठती है और चीखती हुई, भयानक मुंह फाड़कर,पारुल पर प्रहार करती है,,,कामिनी पारुल के दोनों बाजुओं को अपने नुकिले नाखुनो से पकड़ती है,,,उसके नुकीले नाखून,,पारुल के बाजू में घुस जाते हैं और खून बहने लगता है,,,,यह देखकर चेतन की आंखें,,,,आंसुओं से भर जाती है पर नाग ने उसे ऐसा जकड़ रखा है कि वह हिल तक नहीं पा रहा है,, फिर कामीनी ने पारुल पर चढ़ाई करते हुए उसे झुकाया और अपने सिहं जैसे भयावह जबड़े से पारुल का गला दबोचा और गले का गोश्त निकाल कर खाने लगी,,, पारुल धडा़म से नीचे गिरी,,,यह भयानक मंजर देखकर,,,चेतन की रूह कांप उठी और वह पारुल की गोद से उठकर जोर से चिल्लाया

"नहीं"!,,,,,

आंख खुली तो मंजर कुछ और था, पारुल वही उसके पास बैठी है, सुबह हो चुकी है, वह तत्काल समझ गया,,,यह एक भयानक सपना था

"सर,,,,क्या हुआ"? पारुल ने पूछा

"पहली बार किसी ने इतना डराया है, मैं आज तुमसे एक बात कहना चाहता हूं"! चेतन ने कहा

"हां,,,सर,,,कहो"! पारुल ने पूछा

"तुम,,,मेरी बारात मत चलना,,,क्योंकि वहां सबसे ज्यादा खतरा,,,तुम्हारी जान को है"! चेतन ने बताया

"जान की फिक्र तो उसी दिन छोड़ दी थी,,,जिस दिन तुम्हें पसंद किया था,,,आपको क्या लगता है,,मैं,,,,आपके साथ इस नौकरी के कारण रहती हूं,,,मैं करोड़पति बाप की इकलौती,,,लड़की हूं, मुझे पैसों की कोई कमी नहीं है पर जीवन में रहस्य, भय,,,रोमांच नहीं था,,,इसीलिए आपको चुना,,,आपके साथ जिंदगी इतनी रोमांचक हो गई है,,,जिसमें कभी भी,,,कुछ भी हो सकता है पर आप साथ होते हो तो बहुत हिम्मत आ जाती है,,,डर भाग जाता है,,,मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी"! पारुल ने स्पष्ट कहा

चेतन ने पारुल की आंखों में अपने प्रति,,,,गहरा विश्वास और प्रेम देखा और कहां

"तुम एक दिन में मुझे,,,इतनी अच्छी लगने लगी हो कि मन कर रहा है,, पहले सुहागरात मना लूं,, फिर बाद में शादी करूं"!

"सर,,,पहले इस केस को सॉल्व कर लेते हैं,,,,उसके बाद में सुहागरात भी मनाएंगे और शादी भी करेंगे"! पारुल ने शर्माते हुए कहा

पारुल की यह बात सुनकर, चेतन उसे अपनी बाहों में ऐसे जकड़ लिया जैसे रजस्वला हुई नागिन,,,चंदन के पेड़ को जकड़ लेती है

"सर छोड़ो,, कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा"? पारुल ने शर्माते हुए कहा

"जो उसके मन में आएगा,,वही सोचेगा,,हमें उसके सोचने से क्या फर्क पड़ता है"? चेतन ने पारुल की चोटी पर हाथ फेरते हुए कहा

"सर,,,,मुझे शर्म आ रही है ओर बहुत अजीब लग रहा है"! पारुल ने कहा

"प्यार में शर्म करना,,,अजीब होता है, प्यार करो तो पूरी तरह बेशर्म हो जाओ"! चेतन ने बेशर्म भाव से कहा

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8 Comments

Mohammed urooj khan

19-Dec-2023 11:59 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Rupesh Kumar

18-Dec-2023 07:42 PM

Nice

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Gunjan Kamal

18-Dec-2023 05:45 PM

👌👏

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